मै मानवता से हैरान हुं, क्योकी मनुष्य पैसा कमाने के लिए अपने स्वास्थ्य को बलिदान करता है। फिर अपने स्वास्थ्य को पाने के लिए वह धन खर्च करता है। वह भविष्य के बारे मे इतना चिंतित रहता है कि वर्तमान का आनंद नहि लेता है। नतीजा यह होता है कि वह न वर्तमान मे और न भविष्य मे जीता है। वह ऐसे जीता है जैसे की कभी मरने वाला नहि है और फिर मरता है जैसे वास्तव में कभी जिया ही नहीं हो।
-दलाई लामा
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